बस वक्त ने धोखा दे ही दिया,चुपचाप से वो कही मिल गया होगा,थोडा नखरेल था, पर यार बडा सच्चा था,उसका चाहे जितना मजाक उडालो,पर दिल चाहे, वही वो करता था.हर किसीं की बात जानने का उसका अपना फ़ंडा था,कही ना कही, कुछ ना कुछ करतब जरूर करता थाएक ही रूम का मेरा पडोसी था,पर पुरे कमरे का अकेला मलिक बनता था.साला कमीना था, उसे कितना भी बोलो,भाई सबको हसाने का मौका हरवक्त देता था..पर कुछ ऐसा हुआ की अब वो हैं, वो ये कर रहा हैं, इस के अलावा वो था -की चादर ओढकर बिना बताये चला गया….माना की जिंदगी कम जिना नसीब हुआ तुझे,पर गौऱ्या भावा, जिथं आता असशील तिथं बी सगळ्यांना तुझाच नाद लागू दे..