सिखता गया

सिखता गया

पैदा हुआ तो सब की तरह ही था,बेवजह रोना, चलने का प्रयास करना, गिरते पडते दौडना, तुतलाते हुये बोलना..ये सब same ही तो था,चाहे आमिर घर का बच्चा हो या फिर गरीब का..कुदरत ने तो एकसरीखा जन्म दिया..फिर ऐसा क्या हुआ जवानी तक आते आते,की सारा system ही बिगड गया ? ये फरक आया क्योकीं उस उमर में और उस माहोल में उसने क्या सिखा और आगे क्या सिखता गया..बडो का सन्मान करना कोई सिखा नही सकता,पैसे कमाना कोई बतायेगा नही, और नाही कोई आपको आगे बढना सिखायेगा..ये तो हर उस वक्त में, खुद उस व्यक्ती को अपने आप समझना होगा, और उस तरह बढना होगा..आपकी परवरीश का सही मतलब धुंडोगे तो वक्त की रफ्तार में जित जाओगे…वरना जिंदगी तो जानवर भी जी ही लेते हैं !

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